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Saturday, December 27, 2008

खामोश रहने दो मुझे


मुझसे ये मत पूछो के कौन हूँ मैं,
खामोश रहने दो मुझे,
मत मेरे ज़ख्म कुरेदो ,
अपने ही आँसूओं से भीगा हुआ कोई दिल है मेरा ,
जो बह निकलेगा कहीं तो सैलाब आजयेगा,
अपनों के लिए एक हसीं ख्याल हूँ मैं ,
गैरों के लिए एक हसीं सवाल हूँ मैं ,
एक अधूरा सा कोई खवाब हूँ मैं,
या तुम्हारे ख्वाबों का कोई जवाब हूँ मैं ,
शाम के डूबते हुए सूरज की हलकी सी धुप हूँ मैं ,
सुबह की ठंडी हवा का एक झोका भी हूँ,
फूलों पर जमी हुई ओस की एक बूँद भी हूँ ,
रास्तों में उड़ती हुई धुल का एक ज़र्रा भी हूँ ,
तनहाईयों में जो कभी सुनते हो तुम वही साज हूँ मैं,
तुम्हारे दिल की गहराइयों में जो बसी है वो आवाज हूँ मैं ,
आईने में खुद को देख कर मुस्कुराने का
अंदाज़ हूँ मैं ,
हर अँधेरी रात के बाद आने वाले दिन का आगाज़ हूँ मैं,
किसी मासूम चेहरे की मुस्कराहट भी हूँ ,
आने वाले हर लम्हे की आहट भी हूँ ,
किसी के दिल की नफरत भी हूँ मैं किसी के दिल की चाहत भी हूँ ,
मुझे समझ सकोगे तो जान पाओगे मुझे !
अपने दिल से कभी खामोशी में पूछोगे तो पहचान पाओगे मुझे .

Friday, September 19, 2008

सहायता


निकपड़ा किस ऑर मनुष्य
अहम की लड़ाई में
लड़ना ही है तो क्यूँ नहीं लड़ते
बढती हुई महंगाई से
पेट अपना तो भर लेते हो तुम
अपनी की गई कमाई से
कभी उनका भी तो सोचो
जो डूबे हैं गरीबी की खाई में
थोड़ी मदद अगर उनकी करते हो
तुम्हारे समुंद्र से थोडा जाएगा
पर हर एक बूंद- बूंद से
उनका खाली घड़ा भर जाएगा

--------------------राधा ---------------


Monday, September 15, 2008

दोस्त ...........


खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मुहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से ..........
------------सिन्धु मनीष ----------

Sunday, September 14, 2008

जिंदगी जी लो -----


खुशियाँ बाटो गम को पी लो
इसी घड़ी है जिंदगी
जी भर के जी लो !!
कहाँ जाओगे ,किधर भागोगे
ठोकरे खाओगे , दुख पाओगे
जमाना कुछ अजीब है
नजरिया बदल लो
इसी घरी है जिंदगी
जी भर के जी लो !!
चलो रास्ते पर
ठोकरों की ना करो परवाह
रोते हुए को पल भर
हंसा कर तो देख लो
इसी घड़ी है जिंदगी
जी भर के जी लो !!
प्यार की दो बूंद
मिली या ना मिली
जो कुछ भी मिला
सहेज कर रख लो
इसी घड़ी है जिंदगी
जी भर के जी लो !!
घड़ी की सुइयां
कुछ कह रही है हर पल
इस पल को जी लो
अपनी जेब में रख लो
इसी घड़ी है जिंदगी
जी भर के जी लो !!
देखो तो बचपन
प्यार से बुलाता है
होठों पर प्यारी
मुस्कान लिए आता है
उस बचपन को अपनी
बाँहों में भर लो
छोटी सी है जिंदगी
जी भर के जी लो !!
---------------राधा ----------

आख़िर क्यूं ????


सुबह से शाम तक दौर - घूम रही हूँ
आखिर किसलिए ?
लोग कहते हैं -सब व्यर्थ है - निरर्थेक है
किन्तु - अपने मन का क्या करूँ ?
कैसे समझाऊं ?
इस दौर - धुप को कैसे सार्थक बनाऊं ?
सच है -कुछ खोज रही हूँ
लेकिन क्या ????????????
परिवार है -दोस्त है - घर है- नौकरी है -
सभी साधन तो है --------
तो फिर खोज किसकी ????????????
मन के किसी निविर एकांत कमरे से
आवाज आती है ------------
आखिर शांति किधर है ????????????
मन व्याकुल हो उठता है और लगता है ---------
हम अनजाने ही किसी खोज में निकल परे है -----------
तो फिर शांति किधर है ????
और फिर मन टिक जाता है ----
उस खोज में जहाँ शांति है - सुकून है - आराम है
और फिर ---------------?????

------राधा-------------

Saturday, September 13, 2008

कहाँ खो गए तुम ?

जब भी गुजरती हूँ मै
उस रास्ते से ............
उस मंजिल से ..............
उस मकाम से ............
एक उम्मीद सी रहती है
मिल पाऊं मै सायद तुमसे
थक जाती है नजरें
निराश हो उठता है दिल
मिलते हो तुम ओर
ना मिलने की उम्मीद
फ़िर भी .................
ऐसा क्यूं लगता है
जीवन के किसी मोड़ पर
तुम मिल जाओ अचानक
लेकिन ना तो तुम ही मिले
ना ही जिंदगी .............
अब तो बस तड़प ही रह गई है
की कहाँ खो गए तुम ???????????????


-----------राधा --------------

मै एक कविता


मै एक कविता हूँ -------
ऐसी कविता-------------
जिसमे जीवन का --------------
हर एक रंग समाया है -----------
मुझे कवियों ने रसमय ----------
भावनाओं की सरिता में डुबोया है -----
मै एक कविता हूँ -----
ऐसी कविता जिसने -----
खुशियों के साथ खेला है -----
तो कई बार मैने ----
दुखों के अम्बार को भी झेला है-----
मै एक कविता हूँ -----
एक ऐसी कविता जिसने ------
सामाजिक , राजनीतिक ---
बुराइयों पर प्रहार किया है -----
निडरता और स्वतंत्रता का -------
अमृत रस मैंने दिया है------
मै एक कविता हूँ -----
एक ऐसी कविता जिसमे ----------
तुमने विचारों को गुथा है----
भावनाओं को पिरोया है -----
सपनों को बरसाया है मन पर -----
कल्पनाओं को संजोया है -------
मै एक कविता हूँ -----
एक ऐसी कविता -----
जिसने हर -एक पहलूँ को देखा है ------
हाँ मै एक कविता हूँ --------
बस एक कविता ---------------

---------------राधा-------