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Saturday, December 27, 2008

खामोश रहने दो मुझे


मुझसे ये मत पूछो के कौन हूँ मैं,
खामोश रहने दो मुझे,
मत मेरे ज़ख्म कुरेदो ,
अपने ही आँसूओं से भीगा हुआ कोई दिल है मेरा ,
जो बह निकलेगा कहीं तो सैलाब आजयेगा,
अपनों के लिए एक हसीं ख्याल हूँ मैं ,
गैरों के लिए एक हसीं सवाल हूँ मैं ,
एक अधूरा सा कोई खवाब हूँ मैं,
या तुम्हारे ख्वाबों का कोई जवाब हूँ मैं ,
शाम के डूबते हुए सूरज की हलकी सी धुप हूँ मैं ,
सुबह की ठंडी हवा का एक झोका भी हूँ,
फूलों पर जमी हुई ओस की एक बूँद भी हूँ ,
रास्तों में उड़ती हुई धुल का एक ज़र्रा भी हूँ ,
तनहाईयों में जो कभी सुनते हो तुम वही साज हूँ मैं,
तुम्हारे दिल की गहराइयों में जो बसी है वो आवाज हूँ मैं ,
आईने में खुद को देख कर मुस्कुराने का
अंदाज़ हूँ मैं ,
हर अँधेरी रात के बाद आने वाले दिन का आगाज़ हूँ मैं,
किसी मासूम चेहरे की मुस्कराहट भी हूँ ,
आने वाले हर लम्हे की आहट भी हूँ ,
किसी के दिल की नफरत भी हूँ मैं किसी के दिल की चाहत भी हूँ ,
मुझे समझ सकोगे तो जान पाओगे मुझे !
अपने दिल से कभी खामोशी में पूछोगे तो पहचान पाओगे मुझे .