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Saturday, September 13, 2008

कहाँ खो गए तुम ?

जब भी गुजरती हूँ मै
उस रास्ते से ............
उस मंजिल से ..............
उस मकाम से ............
एक उम्मीद सी रहती है
मिल पाऊं मै सायद तुमसे
थक जाती है नजरें
निराश हो उठता है दिल
मिलते हो तुम ओर
ना मिलने की उम्मीद
फ़िर भी .................
ऐसा क्यूं लगता है
जीवन के किसी मोड़ पर
तुम मिल जाओ अचानक
लेकिन ना तो तुम ही मिले
ना ही जिंदगी .............
अब तो बस तड़प ही रह गई है
की कहाँ खो गए तुम ???????????????


-----------राधा --------------

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